Monday, December 14, 2020

चाहत (Chaahat)



एहसास है मुझे तेरी चाहत के दीदार का 

बेपन्हाह इश्क़ का फितूर थामे दीवानगी में तेरी 

डूब जाऊ अगर उस गहराई में 

समुन्दर को में फिरदौस का गुलशन करदूँ 

ये गलत फेमि ना पालना जानम 

कहीं पता चले इस चाहत में तुम गुनाह कर बैठो 

गैर थे वो पल जो एक गुफ्तगू में फनाह होगये 

इस जुस्तजू में दबे जिस्म का जज़्बा अब भी बेकरार है 

मत भूलना ये हसरत ही इतनी खुशनुमां है 

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